Ameya

Wednesday 25 September 2019

56 Kashi vinayak


Monday, 22 May 2017

काशी के ५६ विनायक

काशी के ५६ विनायक
गणेश पुराण में वर्णन आता है कि राक्षस दुर्सद से युद्ध के समय गणेश जी ने ५६ रूप धारण किए थे। इन रूपों में सिरों की संख्या व वाहन आदि के भेद थे। इन रूपों को प्रसिद्ध रूप से ५६ विनायक के नाम से जाना जाता है, तथा इनकी स्थापना काशी की रक्षा हेतु काशी के केन्द्र मंडल में डुंडिराज के चारों ओर सप्त आवरणों में की गई है। इनके नाम स्कंद पुराण, काशी खंड, ५६.४३-११४ तथा मेरू तंत्र में १९.११३-५०० में दिए गए हैं। मेरू तंत्र में मंत्र, शक्ति आदि के वर्णन भी हैं।
५६ विनायकों के नाम:
प्रथम आवरण
१. अर्क विनायक
२. दुर्ग विनायक
३. भीम चंड विनायक
४. देहली विनायक
५. उद्दंड विनायक
६. पाशपाणि विनायक
७. खर्व विनायक
८. सिद्धि विनायक
द्वितीय आवरण
९. लंबोदर विनायक
१०. कूटदंत विनायक
११. सलकटअंटक विनायक
१२. कूष्मांड विनायक
१३. मुंड विनायक
१४. विकटद्विज विनायक
१५. राजपुत्र विनायक
१६. प्रणव विनायक
तृतीय आवरण
१७. वक्रतुंड विनायक
१८. एकदंत विनायक
१९. त्रिमुख विनायक
२०. पंचस्य विनायक
२१. हेरम्ब विनायक
२२. विध्नराज विनायक
२३. वरद विनायक
२४. मोदकप्रिय विनायक
चतुर्थ आवरण
२५. अभयप्रद विनायक
२६. सिंह तुंड विनायक
२७. कुनिताक्ष विनायक
२८. क्षिप्र प्रसादन विनायक
२९. चिंतामणि विनायक
३०. दंतहस्त विनायक
३१. पिछिंदल विनायक
३२. उद्दानंदमुण्ड विनायक
पंचम आवरण
३३. स्थूलदंत विनायक
३४. कालीप्रिय विनायक
३५. चतुर्दंत विनायक
३६. द्वितुंड विनायक
३७. ज्येष्ठ विनायक
३८. गज विनायक
३९. काल विनायक
४०. नागेश विनायक
षष्ठम आवरण
४१. मणिकर्ण विनायक
४२. अस विनायक
४३. सृष्टि विनायक
४४. यक्ष विनायक
४५. गजकर्ण विनायक
४६. चित्रघंट विनायक
४७. स्थूलजंघ विनायक
४८. मंगल विनायक
सप्तम आवरण
४९. मोद विनायक
५०. प्रमोद विनायक
५१. सुमुख विनायक
५२. दुर्मुख विनायक
५३. गजनायक विनायक
५४. ज्ञान विनायक
५५. द्वर विनायक
५६. अविमुक्त विनायक
वर्तमान समय में भी इन रूपों की पूजा का विधान है, विशेष रूप से चतुर्थी पर। वार्षिक मुख्य दिवस माघ चतुर्थी है।

No comments:

Post a Comment


Note: only a member of this blog may post a comment.

विश्वगुरु_भारत_से_विकासशील_भारत_का_सफर

-- #विश्वगुरु_भारत_से_विकासशील_भारत_का_सफर -- -------------------------------------------------------------------- इतिहास में भारतीय इस्पा...

No comments: