गुरु जी की बाणी शिव ही गुरु शिव के खेल गुरु जाप मैं है शिव का मेल गुरु बाणी जग से न्यारी गुरु की बाणी जग तारणी गुरु है शिव रूप तू जाप का तू तप कर कहत शिव अलख आदेश सनी शर्मा !! SUNNY SHARMA
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Friday, 16 February 2018
एक लूना चमारी कामरूप कामख्या में पूजी जाती है
एक लूना चमारी कामरूप कामख्या में पूजी जाती है ! इन्हें इस्माइल योगी की शिष्या माना जाता है और इन्हें लूना योगन भी कहा जाता है ! सबसे ज्यादा पूजा इन्ही की होती है !इन में से तीन प्रकार की लूना चमारी सिद्ध की जाती है ! केवल अमृतसर वाली लूना चमारी को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है केवल गुरुदेव के वचनों से ही उनकी सिद्धि मिल जाती है ! मै यहाँ पर कामरूप में पूजी जाने वाली लूना की साधना दे रहा हूँ ! एक बार जरूर करे और चमत्कार देखे ! इस सिद्धि से आप कोई भी कार्य कर सकते है ! || मन्त्र || घटा में सरुस्ती पंजा गुर उस्ताद पीर का,रव्वे मान पे यकीन,कौरू देश की चौमखिया देवी,उसने विजी फुलवाड़ी,चुग ले गयी लूना चमारी,हमारी बुलाई ना आवे,तां हनुमान दे पोले खावे,आवा तां तद ये छड्डे घरवाला सिर || विधि || इस मन्त्र को रात को दस वजे सवा दो घंटे जपे ! अपने सामने तेल का एक दीपक जलाये ! कपडे कोई भी पहन सकते है ! आसन कोई भी इस्तेमाल कर सकतेहै ! किसी भी दिन से इस साधना को शुरू कर सकते है ! जिस दिन शुरू करेउस दिन और अंतिम दिन दो लड्डू,एक मीठा पान,दो लौंग,दो इलाइची छोटी औरसात प्रकार की मिठाई अपने सामने रखे दुसरे दिन उजाड़ स्थान में सारी सामग्री रख आये ! यह क्रिया आपको ४१ दिन करनी है ! आसन जाप करने के बाद शरीर कीलन मन्त्र जपे फिर गुरु पूजन और गणेशपूजन करे और जप शुरू कर दे !|| प्रयोग विधि || जब इस्तेमाल करना हो तो इस मन्त्र का सात बार जप करे और अपनी इच्छा लूना चमारी से बोल दे आपकी इच्छा पूरी हो जाएगी ! काम होने के बाद उनकी पूजा उजाड़ स्थान में जरूर दे ! यह मेरा अनुभूत मन्त्र है ! एक बार जरूर करे !
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रामरक्षामंत्र जाप
रामरक्षामंत्र जाप
Ram Raksha Mantra jaap
वोउं सीस राखै सांइयां श्रवण सिरजन हार |
नैनूं राषै निरहरी नासा अपरं पार || १ ||
मुख रक्षा माधवै कण्ठ रक्षा करतार |
हृदै हरि रक्षा करै नाभी त्रिभवण सार || २ ||
जांघ रक्षा जगदीसकी पीडी पालन हार |
गिर रक्षा गोविन्दकी पगतलि परम उदार || ३ ||
आगै राषै रामजी पीछै राषण हार |
बांम दाहिणै राषिलै कर ग्रही करतार || ४ ||
जम डँक लागै नहीं विघनकालभै दूर |
राम रक्षा जनकी करै वाजै अन हद तूर || ५ ||
कलेजो राषै केसवो जिभ्याकूं जगदीस |
आतमकूं अलष राषै जीवकूं जोतिसरूप || ६ ||
राष राष सरनागति जीवकूं अवकी वार |
साधांकी रक्षा करै श्रीगोरष सतगुरु सिरजन हार || ७ ||
अलख आदेश शाबर मंत्र जगत मैं आपका स्वागत है सभी का और यहाँ पर आपको नाथ पंथी के सिद्ध शाबर मंत्र ही दुगा जो के मेरे गुरु का ज्ञान है वही यहाँ पर दुगा लेकिन मेहनत आपको करनी है ! वैदिक मंत्र १२५००० जाप से सिद्ध होते है ! लेकिन शाबर मंत्र अगर सही हो तो ११ माला होने पर ही आपका रंग दिखा शक्ति का आवास करवा देता है और आपको यह मंत्र सिद्ध करने के लिए नवराति मैं सूबा एक माला एक माला शाम को देनी बार्मचार्ये का पलना करना है और लास्ट दिन १०८ बार हवन करना है जिसका तन मन सच्चा होगा उसको ९ दिनों मैं ही माता के दर्शन होंगे ११० % दावा है मेरा यहाँ पर जिसका स्वार्थ होगा उसको कुछ नहीं होगा लेकिन इष्टदेव पितरो की सेवा पहले अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
नोट:- ऊपर वाले का ५१ बार जाप करना है निचे वाले मंत्र की १ माला जरूरी है बाकि आपकी मर्जी है १०००० जाप बी कर सकते हो हवन १००० बार भोग डेली देना है कुछ न कुछ जय गुरु गोरखनाथ !! अगर नवरात्री मैं नहीं कर सकते हो तो किसी बी शुभ मूरत मैं करना है आपको और शाबर मंत्र के सेवा सवा महीना लगाओ ! और उसके बाद आपको मनन करना है और मंत्र को चला कर देखो हर साधना ले लिए रुद्राक्ष की माला उत्तम है !
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Aadesh Gayatri Jaap
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आदेश गायत्री जाप
ॐ नम आदेश गुरान्जीकूँ आदेश , ॐ आदेशाय विद्महे |
सोहं आदेशाय धीमहि नन्नो आदेशनाम प्रचोदयात् ||
आदेश नाम गायत्री जाप उठन्ते अनुभवदेवा |
सप्त दीप नव खण्डमें आदेश नामकी सेवा ||
आदेश नाम अनघड़की काया ररंकारमें झंकार समाया |
सोहंकारसे ॐ उपाया वज्र शरीर अमर करी काया ||
आदेश नाम अमृत रसमेवा आद जुगाद करूँ मै सेवा |
आदेश नाम अनघड़जीने भाख्या लख चौरासी पड़ता राख्या ||
आदेश नाम पाखान तराई आदेश नाम जपोरे भाई |
आदेश नाम जपन्ते देवा व्रह्मा विष्णु महेश्वर एवा ||
सिद्ध चौरासी नाथ नव जोगी आवा गमन कदे नहि भोगी |
राजा प्रजा जपै दिन राति दूध पूत घर संपति आति ||
आदेश नाम गायत्री सार जपो भौ उतरो पार |
आदेश नाम गायत्री उत्तम जपतांवार न कीजै जनम ||
इतना आदेश नाम गायत्री जाप सम्पूरणं सही |
अटल दलीचे वैठके श्रीनाथजी गुरुजी ने कही ||
नाथजी गुरुजी को आदेश आदेश ||
२१ बार अथवा ५१ बार पढ़ कर आदेश ले और गुरु करे शाबर मंत्र का जाप प्रभु कृपा जल्दी होगी अलख आदेश सनी शर्मा
अलख आदेश शाबर मंत्र जगत मैं आपका स्वागत है सभी का और यहाँ पर आपको नाथ पंथी के सिद्ध शाबर मंत्र ही दुगा जो के मेरे गुरु का ज्ञान है वही यहाँ पर दुगा लेकिन मेहनत आपको करनी है ! वैदिक मंत्र १२५००० जाप से सिद्ध होते है ! लेकिन शाबर मंत्र अगर सही हो तो ११ माला होने पर ही आपका रंग दिखा शक्ति का आवास करवा देता है और आपको यह मंत्र सिद्ध करने के लिए नवराति मैं सूबा एक माला एक माला शाम को देनी बार्मचार्ये का पलना करना है और लास्ट दिन १०८ बार हवन करना है जिसका तन मन सच्चा होगा उसको ९ दिनों मैं ही माता के दर्शन होंगे ११० % दावा है मेरा यहाँ पर जिसका स्वार्थ होगा उसको कुछ नहीं होगा लेकिन इष्टदेव पितरो की सेवा पहले अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
नोट:- ऊपर वाले का ५१ बार जाप करना है निचे वाले मंत्र की १ माला जरूरी है बाकि आपकी मर्जी है १०००० जाप बी कर सकते हो हवन १००० बार भोग डेली देना है कुछ न कुछ जय गुरु गोरखनाथ !! अगर नवरात्री मैं नहीं कर सकते हो तो किसी बी शुभ मूरत मैं करना है आपको और शाबर मंत्र के सेवा सवा महीना लगाओ ! और उसके बाद आपको मनन करना है और मंत्र को चला कर देखो हर साधना ले लिए रुद्राक्ष की माला उत्तम है !
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Thursday, 15 February 2018
भगवान श्री शरभेश्वर -शालुव - पक्षिराज का चिंतामणि शाबर -मंत्र मंत्र:
भगवान श्री शरभेश्वर -शालुव - पक्षिराज का चिंतामणि शाबर -
मंत्र मंत्र:—- ॐ नमो आदेश गुरु को ! चेला सुने गुरु फ़रमाय ! सिंह दहाड़े घर में जंगल में ना जाये ,घर को फोरे , घर को तोरे , घर में नर को खाय ! जिसने पाला उसी का जीजा साले से घबराय ! आधा हिरना आधा घोडा गऊ का रूप बनाय ! एकानन में दुई चुग्गा , सो पक्षी रूप हो जाय ! चार टांग नीचे देखूं , चार तो गगन सुहाय ! फूंक मर जल-भूंज जाय ,,काली- दुर्गा खाय ! जंघा पे बैठा यमराज महाबली , मार के हार बनाय ! भों भों बैठे भैरू बाबा , नाग गले लिपटाय ! एक झपट्टा मार के पक्षी , सिंह ले उड़ जाय ! देख देख जंगल के राजा पक्षी से घबराय ! ”””’ॐ खें खां खं फट प्राण ले लो , प्राण ले लो —-घर के लोग चिल्लाय ! ॐ शरभ -शालुव - पक्षिराजाय नम: ! मेरी भक्ति , गुरु की शक्ति , फुरो मंत्र ईश्वरॊवाचा ! दुहाई महारुद्र की ! देख चेला पक्षी का तमाशा स्वाहा ””” !!!…..
विधान/;- यह मंत्र साधारण मंत्र नहीं ! अपितु शाबर मंत्रो में चिंतामणि मंत्र है ! मेरे परिवार की शरभ -साधना – परम्परा में यह मंत्र क्रियात्मक रूप से प्रचलित रहा ! कुछ समय पूर्व मेने इस मंत्र को एक प्रसिद्ध पंचांग में भी प्रकाशित किया था —-सर्व प्रथम ! उसके पश्चात एक पत्रिका ने इसको पंचांग से लेकर प्रकाशित कर दिया ! अब कुछ वर्षो पूर्व ही मेने मेरी पुस्तक ”निग्रह-दारुण-सप्तकं” में इस मंत्र को -[अन्य और भी शाबर मंत्रो के साथ ] प्रकाशित किया है ! ये मंत्र अत्यंत ही घोर मंत्र है ! किसी भी महापर्व में इस मंत्र का अनुष्ठान आरम्भ करे ! श्मशान में , शिव मंदिर में , निर्जन स्थान में , तलघर में , शुन्यागार में ..या अपनी पूजा-कक्ष में भी ! २१ दिन नित्य रात्रि में रुद्राक्ष की माला पर ५ माला जप करे ! दिशा उत्तर , रक्त आसन , दीपक प्रज्ज्वलित रहे !
चर्पटी नाथ परम्परा का अद्दभुत शाबर -मंत्र
चर्पटी नाथ परम्परा का अद्दभुत शाबर -मंत्र
श्री दत्त आदार्यु श्रुस्रेस्व:हुम् साबरमम अधरमम ब्रहम निर्हरा सटी , पदम् पदाम्त्रिश केश्वरीम ॐ भू : स्व:स्ति !!!
इस मंत्र को भोवल मंत्र कहते हैं ! भोवल अर्थात चक्कर आना ,, मस्तक बधिर होना ! यह भोवल-रोग पशुओ और मनुष्य दोनों पर ही अपना प्रभाव दिखता है ! इससे पीड़ित प्राणी जगह जगह गोल गोल घुमने लगता है और पागलो जेसी हरकत करने लगता है ! प्रस्तुत मंत्र स्वयं सिद्ध है ,, फिर भी किसी महापर्व में इस मंत्र का जप अपने आराध्य-देव के सम्मुख ..धुप-दीप प्रजव्लित करके ११ माला की संख्या में कीजिये ! ………….. जब किसी समय इस रोग से पीड़ित प्राणी पर इस मंत्र प्रयोग करना हो तो भस्म या शुद्ध मिटटी अपने हाथ में लीजिये और मंत्र से ११ बार अभिमंत्रित कीजिये और रोगी पर फेंक या उसके मस्तक पर लगा दीजिये ……मंत्र-प्रभाव से तुरंत चमत्कार-पूर्ण लाभ होगा ! उसके पश्चात किसी काले धागे में ११ गांठ मंत्र उचारण की साथ लगाये और रोगी के गले में धारण करवा दे..!!! ..ये मंत्र मुझे परम्परा से प्राप्त है … साधक जनों के लाभार्थ इसे यहाँ प्रस्तुत किया ! मंत्र शुद्ध है !
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Monday, 12 February 2018
शाबर मंत्र
शाबर मंत्र
सतनाम आदेश गुरु जी को आदेश आदेश ॐ नमो सिद्ध कर्णी सिद्धनाथ बैठे साथ गुरु वाचा दे साथा गुरु करे सिद्धाई सत नाम आदेश सतगुरु महाराज करू तेरा दीदार जब जब लू ९ नाथ ८४ सिद्धो का नाम सच्चा तेरा नाम तुझको पाऊ तुज मैं खो जाऊ जब जब लू तेरा नाम सतनाम आदेश गुरु सिद्ध गुरु गोरख गोसाई मेरी सुनो मैं तेरा चेला मुझ पर हाथ रख मेरे सहाई गुरु का नाम मेरे प्राण जले तेरी जोत गोरखनाथ मैं तेरा बच्चा तू मेरा विधाता शिव के रूप मैं आता जहा जहा लेवे सनी तेरा नाम दादा गुरु मछिन्दर का चेला चला उठ के आकाश बैठे कैलाश बैल सवारी जय जय हो शिव रूप गोरखनाथ तेरी सदा ही जय जयकर सतनाम आदेश गुरु जी को आदेश आदेश आदेश सनी शर्मा नाथ पंथ शाबर मंत्र शिव गोरक्षधाम सतनाली गोगामेड़ी शाबर मंत्र मण्डली !
गुरु ही सब कुछ हाउ गुरु देने वाला है गुरु ही लेने वाला है इसलिए गुरु नाम सबसे पहले और माता पिता से बढ़ कर कोई गुरु नहीं होता है याद रहे अध्यतम के साथ बलाही और स्यात के मार्ग पर चलना है तभी मिलगा सब कुछ मन मैं पाप और सिद्धो का जाप से काम नहीं होता भाई सब वो जनि जान है अलख आदेश सनी शर्मा !
सतनाम आदेश गुरु जी को आदेश आदेश ॐ नमो सिद्ध कर्णी सिद्धनाथ बैठे साथ गुरु वाचा दे साथा गुरु करे सिद्धाई सत नाम आदेश सतगुरु महाराज करू तेरा दीदार जब जब लू ९ नाथ ८४ सिद्धो का नाम सच्चा तेरा नाम तुझको पाऊ तुज मैं खो जाऊ जब जब लू तेरा नाम सतनाम आदेश गुरु सिद्ध गुरु गोरख गोसाई मेरी सुनो मैं तेरा चेला मुझ पर हाथ रख मेरे सहाई गुरु का नाम मेरे प्राण जले तेरी जोत गोरखनाथ मैं तेरा बच्चा तू मेरा विधाता शिव के रूप मैं आता जहा जहा लेवे सनी तेरा नाम दादा गुरु मछिन्दर का चेला चला उठ के आकाश बैठे कैलाश बैल सवारी जय जय हो शिव रूप गोरखनाथ तेरी सदा ही जय जयकर सतनाम आदेश गुरु जी को आदेश आदेश आदेश सनी शर्मा नाथ पंथ शाबर मंत्र शिव गोरक्षधाम सतनाली गोगामेड़ी शाबर मंत्र मण्डली !
गुरु ही सब कुछ हाउ गुरु देने वाला है गुरु ही लेने वाला है इसलिए गुरु नाम सबसे पहले और माता पिता से बढ़ कर कोई गुरु नहीं होता है याद रहे अध्यतम के साथ बलाही और स्यात के मार्ग पर चलना है तभी मिलगा सब कुछ मन मैं पाप और सिद्धो का जाप से काम नहीं होता भाई सब वो जनि जान है अलख आदेश सनी शर्मा !
Saturday, 3 February 2018
श्रीगुरुमन्त्रका द्वितीय माहात्म्य
श्रीगुरुमन्त्रका द्वितीय माहात्म्य
Shree Guru Mantra Kaa Dvitiya Maahaatmya
ॐ गुरुजी ! पवनपर्वत ऊर्ध्वमुख कुआ सतगुरु आये निरंकार ब्रह्मा आये देखा कौन हाथ पुस्तक ? कौन हाथ माला ? बायें हाथ पुस्तक दाहिने हाथ माला जपो तपो शिवं सोऽहं सुन्दरी बाला | बाला जपे सो बाला होवे | बूढा जपे सो बाला होवे | योगी जपे सो निरोगी होय जपो जपन्त कटन्त पाप | अन्त बेले माई न बाप | गुरु संभालो आपो आप | इतना गुरुमन्त्र सम्पूर्णम् |
अलख आदेश श्री गुरु गोरखनाथ जी को आदेश आदेश सनी शर्मा
अलख आदेश शाबर मंत्र जगत मैं आपका स्वागत है सभी का और यहाँ पर आपको नाथ पंथी के सिद्ध शाबर मंत्र ही दुगा जो के मेरे गुरु का ज्ञान है वही यहाँ पर दुगा लेकिन मेहनत आपको करनी है ! वैदिक मंत्र १२५००० जाप से सिद्ध होते है ! लेकिन शाबर मंत्र अगर सही हो तो ११ माला होने पर ही आपका रंग दिखा शक्ति का आवास करवा देता है और आपको यह मंत्र सिद्ध करने के लिए नवराति मैं सूबा एक माला एक माला शाम को देनी बार्मचार्ये का पलना करना है और लास्ट दिन १०८ बार हवन करना है जिसका तन मन सच्चा होगा उसको ९ दिनों मैं ही माता के दर्शन होंगे ११० % दावा है मेरा यहाँ पर जिसका स्वार्थ होगा उसको कुछ नहीं होगा लेकिन इष्टदेव पितरो की सेवा पहले अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
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गुरु गोरखनाथ जी का अथ गुरुमन्त्र
गुरु गोरखनाथ जी का अथ गुरुमन्त्र
ॐ गुरुजी ! ओं सोऽहं अलियं कलियं तारा त्रिपुरा तोतला |
काहे हाथ पुस्तक ? काहे हाथ माला ?
बायें हाथ पुस्तक दायें हाथ माला |
जपो तपो श्रीसुन्दरी बाला |
रक्षा करै गुरुगोरक्षनाथ बाला |
जीव पिण्डका तूं रखवाला |
नाथजी गुरुजी आदेश आदेश ||
अलख आदेश श्री गुरु गोरखनाथ जी को आदेश आदेश सनी शर्मा
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गोरक्षपंचाक्षर जाप
गोरक्षपंचाक्षर जाप
Goraksha Panchakshar jaap
गोरषनाथ लिंवस्वरूपं गउ गो प्रतिपालनं |
अगोचरं गहर गभीरं गकाराइ न्मो न्मो || १ ||
रहतंच निरालंबं अस्थंभं भवनं त्रियं |
राष राष श्रव भूतानं रकाराइ न्मो न्मो || २ ||
षकार इकयिस व्रह्मांडं षेचरं जगद गुरुं |
षेत्रपालं षडग वंसे षकाराइ न्मो न्मो || ३ ||
नाना सास समो दाइ नाना रूप प्रकासितं |
नाद विंद समो जोति नकाराइ न्मो न्मो || ४ ||
थापितं थल संसारं अलेषं अपारं अगोचरं |
थावरे जंगमे सचिवं थकाराइ न्मो न्मो || ५ ||
गकारं ग्यान संयुक्तं रकारं रूप लाछ्नं |
षकारं इकीस व्रह्मंडं नकारं नादि विंदए || ६ ||
थाकारं थानमानयो थिर थापन थर्पनं |
गोरषनाथ अक्षरं मंत्रं श्रवाधाराइ न्मो न्मो || ७ ||
ॐ गों गोराक्षनाथाय विद्महे शून्यपुत्राय धीमहि तन्नो
गोरक्ष निरंजनः प्रचोदयात् | आदेश आदेश शिवगोरक्ष ||
गोरक्षवालं गुरु शिष्यपालं शेषाहिमालं शशिखण्ड भालम |
कालस्यकालं जितजन्मजालं वन्दे जटालं जगदब्ज नालं ||
अलख आदेश शाबर मंत्र जगत मैं आपका स्वागत है सभी का और यहाँ पर आपको नाथ पंथी के सिद्ध शाबर मंत्र ही दुगा जो के मेरे गुरु का ज्ञान है वही यहाँ पर दुगा लेकिन मेहनत आपको करनी है ! वैदिक मंत्र १२५००० जाप से सिद्ध होते है ! लेकिन शाबर मंत्र अगर सही हो तो ११ माला होने पर ही आपका रंग दिखा शक्ति का आवास करवा देता है और आपको यह मंत्र सिद्ध करने के लिए नवराति मैं सूबा एक माला एक माला शाम को देनी बार्मचार्ये का पलना करना है और लास्ट दिन १०८ बार हवन करना है जिसका तन मन सच्चा होगा उसको ९ दिनों मैं ही माता के दर्शन होंगे ११० % दावा है मेरा यहाँ पर जिसका स्वार्थ होगा उसको कुछ नहीं होगा लेकिन इष्टदेव पितरो की सेवा पहले अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
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Saturday, 20 January 2018
श्री नवग्रह शाबर मंत्र
श्री नवग्रह शाबर मंत्र
ॐ गुरु जी कहे, चेला सुने, सुन के मन में गुने, नव ग्रहों का मंत्र, जपते पाप काटेंते, जीव मोक्ष पावंते, रिद्धि सिद्धि भंडार भरन्ते, ॐ आं चं मं बुं गुं शुं शं रां कें चैतन्य नव्ग्रहेभ्यो नमः, इतना नव ग्रह शाबर मंत्र सम्पूरण हुआ, मेरी भगत गुरु की शकत, नव ग्रहों को गुरु जी का आदेश आदेश आदेश !
इस मंत्र का १०० माला जप कर सिद्धि प्राप्त की जाती है. अगर नवरात्रों में दशमी तक १० माला रोज़ जप जाये तो भी सिद्धि होती है. दीपक घी का, आसन रंग बिरंगा कम्बल का, किसी भी समय, दिशा प्रात काल पूर्व, मध्यं में उत्तर, सायं काल में पश्चिम की होनी चाहिए. हवन किया जाये तो ठीक नहीं तो जप भी पर्याप्त है. रोज़ १०८ बार जपते रहने से किसी भी ग्रह की बाधा नहीं सताती है !
अलख आदेश श्री गुरु गोरखनाथ जी को आदेश आदेश सनी शर्मा
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Goraksha Panchakshar jaap गोरक्षपंचाक्षर जाप
गोरक्षपंचाक्षर जाप
Goraksha Panchakshar jaap
गोरषनाथ लिंवस्वरूपं गउ गो प्रतिपालनं |
अगोचरं गहर गभीरं गकाराइ न्मो न्मो || १ ||
रहतंच निरालंबं अस्थंभं भवनं त्रियं |
राष राष श्रव भूतानं रकाराइ न्मो न्मो || २ ||
षकार इकयिस व्रह्मांडं षेचरं जगद गुरुं |
षेत्रपालं षडग वंसे षकाराइ न्मो न्मो || ३ ||
नाना सास समो दाइ नाना रूप प्रकासितं |
नाद विंद समो जोति नकाराइ न्मो न्मो || ४ ||
थापितं थल संसारं अलेषं अपारं अगोचरं |
थावरे जंगमे सचिवं थकाराइ न्मो न्मो || ५ ||
गकारं ग्यान संयुक्तं रकारं रूप लाछ्नं |
षकारं इकीस व्रह्मंडं नकारं नादि विंदए || ६ ||
थाकारं थानमानयो थिर थापन थर्पनं |
गोरषनाथ अक्षरं मंत्रं श्रवाधाराइ न्मो न्मो || ७ ||
ॐ गों गोराक्षनाथाय विद्महे शून्यपुत्राय धीमहि तन्नो
गोरक्ष निरंजनः प्रचोदयात् | आदेश आदेश शिवगोरक्ष ||
गोरक्षवालं गुरु शिष्यपालं शेषाहिमालं शशिखण्ड भालम |
कालस्यकालं जितजन्मजालं वन्दे जटालं जगदब्ज नालं ||
अलख आदेश शाबर मंत्र जगत मैं आपका स्वागत है सभी का और यहाँ पर आपको नाथ पंथी के सिद्ध शाबर मंत्र ही दुगा जो के मेरे गुरु का ज्ञान है वही यहाँ पर दुगा लेकिन मेहनत आपको करनी है ! वैदिक मंत्र १२५००० जाप से सिद्ध होते है ! लेकिन शाबर मंत्र अगर सही हो तो ११ माला होने पर ही आपका रंग दिखा शक्ति का आवास करवा देता है और आपको यह मंत्र सिद्ध करने के लिए नवराति मैं सूबा एक माला एक माला शाम को देनी बार्मचार्ये का पलना करना है और लास्ट दिन १०८ बार हवन करना है जिसका तन मन सच्चा होगा उसको ९ दिनों मैं ही माता के दर्शन होंगे ११० % दावा है मेरा यहाँ पर जिसका स्वार्थ होगा उसको कुछ नहीं होगा लेकिन इष्टदेव पितरो की सेवा पहले अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
नोट:- ऊपर वाले का ५१ बार जाप करना है निचे वाले मंत्र की १ माला जरूरी है बाकि आपकी मर्जी है १०००० जाप बी कर सकते हो हवन १००० बार भोग डेली देना है कुछ न कुछ जय गुरु गोरखनाथ !! अगर नवरात्री मैं नहीं कर सकते हो तो किसी बी शुभ मूरत मैं करना है आपको और शाबर मंत्र के सेवा सवा महीना लगाओ ! और उसके बाद आपको मनन करना है और मंत्र को चला कर देखो हर साधना ले लिए रुद्राक्ष की माला उत्तम है !
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Aadesh Gayatri Jaap आदेश गायत्री जाप
आदेश गायत्री जाप
ॐ नम आदेश गुरान्जीकूँ आदेश , ॐ आदेशाय विद्महे |
सोहं आदेशाय धीमहि नन्नो आदेशनाम प्रचोदयात् ||
आदेश नाम गायत्री जाप उठन्ते अनुभवदेवा |
सप्त दीप नव खण्डमें आदेश नामकी सेवा ||
आदेश नाम अनघड़की काया ररंकारमें झंकार समाया |
सोहंकारसे ॐ उपाया वज्र शरीर अमर करी काया ||
आदेश नाम अमृत रसमेवा आद जुगाद करूँ मै सेवा |
आदेश नाम अनघड़जीने भाख्या लख चौरासी पड़ता राख्या ||
आदेश नाम पाखान तराई आदेश नाम जपोरे भाई |
आदेश नाम जपन्ते देवा व्रह्मा विष्णु महेश्वर एवा ||
सिद्ध चौरासी नाथ नव जोगी आवा गमन कदे नहि भोगी |
राजा प्रजा जपै दिन राति दूध पूत घर संपति आति ||
आदेश नाम गायत्री सार जपो भौ उतरो पार |
आदेश नाम गायत्री उत्तम जपतांवार न कीजै जनम ||
इतना आदेश नाम गायत्री जाप सम्पूरणं सही |
अटल दलीचे वैठके श्रीनाथजी गुरुजी ने कही ||
नाथजी गुरुजी को आदेश आदेश ||
२१ बार अथवा ५१ बार पढ़ कर आदेश ले और गुरु करे शाबर मंत्र का जाप प्रभु कृपा जल्दी होगी अलख आदेश सनी शर्मा
अलख आदेश शाबर मंत्र जगत मैं आपका स्वागत है सभी का और यहाँ पर आपको नाथ पंथी के सिद्ध शाबर मंत्र ही दुगा जो के मेरे गुरु का ज्ञान है वही यहाँ पर दुगा लेकिन मेहनत आपको करनी है ! वैदिक मंत्र १२५००० जाप से सिद्ध होते है ! लेकिन शाबर मंत्र अगर सही हो तो ११ माला होने पर ही आपका रंग दिखा शक्ति का आवास करवा देता है और आपको यह मंत्र सिद्ध करने के लिए नवराति मैं सूबा एक माला एक माला शाम को देनी बार्मचार्ये का पलना करना है और लास्ट दिन १०८ बार हवन करना है जिसका तन मन सच्चा होगा उसको ९ दिनों मैं ही माता के दर्शन होंगे ११० % दावा है मेरा यहाँ पर जिसका स्वार्थ होगा उसको कुछ नहीं होगा लेकिन इष्टदेव पितरो की सेवा पहले अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
नोट:- ऊपर वाले का ५१ बार जाप करना है निचे वाले मंत्र की १ माला जरूरी है बाकि आपकी मर्जी है १०००० जाप बी कर सकते हो हवन १००० बार भोग डेली देना है कुछ न कुछ जय गुरु गोरखनाथ !! अगर नवरात्री मैं नहीं कर सकते हो तो किसी बी शुभ मूरत मैं करना है आपको और शाबर मंत्र के सेवा सवा महीना लगाओ ! और उसके बाद आपको मनन करना है और मंत्र को चला कर देखो हर साधना ले लिए रुद्राक्ष की माला उत्तम है !
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Thursday, 11 January 2018
शाबर मंत्र नाथ पंथी के जानकारी
सतनाम आदेश गुरु जी को आदेश आदेश !
ॐ शिव गोरक्षधाम सतनाली सनी शर्मा !
शाबर मंत्र नाथ पंथी के जानकारी
नमस्कार दोस्तों मैं आपका सन्नी शर्मा फिरसे हाज़िर अपने ब्लॉग पर आज बात करते है शाबर मंत्र की गुरु गोरखनाथ जी के स्वयं अनुभूत सिद्ध शाबर मंत्र शिव सवरूप गुरु गोरखनाथ जी की बाणी दादा गुरु मछिन्दर नाथ जी शिष्ये ९ नाथ ८४ सिद्धो की शान थी वो शाबर मंत्र तब तक ही जागिरत रहते है जब तक उनका जाप होता है और रही बात आज के मंत्रो का तो पता नहीं मुझे लेकिन अगर शाबर मंत्र सही हो तो ११ माला होए ही सिद्ध होने के साथ साथ आपको शक्ति का आवास बी करवा देता है बाकि भाई सब किताब के मंत्र का हमे पता नहीं है क्युकी पैसे के लिए लोग कुछ करते है यहाँ पर मेरे ही कही पोस्ट लोग कॉपी करते मुझे ही सेंड कर देते है लेकिन हमारा काम सही बताना है न की पैसे के पीछे भगाना आप खुद ही सोचो जिसके ऊपर बाबा जी का हाथ होगा वो मांगता तो नहीं होगा भूक से नहीं मरेगा वो क्युकी सब कुछ उन पर छोड़ रखा है जो होगा जा होना है अच्छा ही होगा जैसे गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
ॐ शिव गोरक्षधाम सतनाली सनी शर्मा !
शाबर मंत्र नाथ पंथी के जानकारी
नमस्कार दोस्तों मैं आपका सन्नी शर्मा फिरसे हाज़िर अपने ब्लॉग पर आज बात करते है शाबर मंत्र की गुरु गोरखनाथ जी के स्वयं अनुभूत सिद्ध शाबर मंत्र शिव सवरूप गुरु गोरखनाथ जी की बाणी दादा गुरु मछिन्दर नाथ जी शिष्ये ९ नाथ ८४ सिद्धो की शान थी वो शाबर मंत्र तब तक ही जागिरत रहते है जब तक उनका जाप होता है और रही बात आज के मंत्रो का तो पता नहीं मुझे लेकिन अगर शाबर मंत्र सही हो तो ११ माला होए ही सिद्ध होने के साथ साथ आपको शक्ति का आवास बी करवा देता है बाकि भाई सब किताब के मंत्र का हमे पता नहीं है क्युकी पैसे के लिए लोग कुछ करते है यहाँ पर मेरे ही कही पोस्ट लोग कॉपी करते मुझे ही सेंड कर देते है लेकिन हमारा काम सही बताना है न की पैसे के पीछे भगाना आप खुद ही सोचो जिसके ऊपर बाबा जी का हाथ होगा वो मांगता तो नहीं होगा भूक से नहीं मरेगा वो क्युकी सब कुछ उन पर छोड़ रखा है जो होगा जा होना है अच्छा ही होगा जैसे गुरु गोरखनाथ सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !
Friday, 5 January 2018
शिव जी की अनुभूत साधना
शिव जी की अनुभूत साधना
शाबर मंत्र
हरी ॐ नमः शिवाये शिव गुरु रमाये !!
यह मंत्र आपको करना है शिवरात्रि से सुरु करना है और सवा महीना मैं इसका १२५००० जप करना है जिनके गुरु नहीं है उनका गुरु बन कर बाबा भोलेनाथ जी अपर कृपा करते है यह मंत्र मैंने बहुत जपा था जब मैं बी कबि भटकता था नेट पर पर गुरु नहीं मिलता है नेट पर क्युकी रियल मैं गुरु नेट पर है नहीं इसलिए जिनके गुरु नहीं वो यह कर सकते है और लेडीज बी कर सकती है !
बस साधना काल मैं एक बात का ध्यान पाप काम करना है सम्भोग से दौर इस्त्री को टच बी नहीं करना है कम बोलना है कम और कम खाना है और मासिक जप करना है चलते फिरते बाकि आसान पर बैठ कर पूजा देना है ! इष्टदेव पितरो का नाम पहले अलख आदेश सनी शर्मा शिव गोरक्षधाम सतनाली !!
Guru Gorakhnath गुरु गोरखनाथ
मेरी डिटेल और चैनल लिंक्स सब्सक्राइब करना शेयर करना और बेल आइकॉन पर क्लीक करना
!! दिव्य चमत्कारी गुप्त मन्त्र स्वयं अनुभूत गुरु गोरख नाथ जी का मंत्र !!
१००% ज़िन्दगी बदल देगा गुरु गोरखनाथ जी का यह मंत्र
यह मंत्र मेरा स्वयं अनुभूत है दावे के साथ कह सकता हूँ डेली ११ बार बोलो और विशव श्रद्धा भाव से करो आप सब बिगरे काम बनेगे अलख आदेश सनी शर्मा
!! दिव्य चमत्कारी गुप्त मन्त्र स्वयं अनुभूत गुरु गोरख नाथ जी का मंत्र !! :-- -
बहुत ज्यादा कमेंट आने पर दोवारा से लिख कर दे रहा हूँ मैं मंत्र बस जैसे लिखा वैसे ही करना है
आपको और मेरे वीडियो पर कम से कम १००० लाइक और ५०० कमेंट आया तो बाबा काल
भैरो जी की साधना दुगा जो गुप्त है किताब के मंत्र नहीं है यह सब अलख आदेश !!! कमेंट मैं
कृप्या आदेश लिखें !!! अगर आपको अभी बी समझ नहीं आता है मेरा लिखा तो मैं इस मैं कुछ
नहीं कर सकता हूँ मुझे माफ करना आप और हो सके तो पहले मेरे सारे वीडियो देखना आप ! सनी शर्मा
शाबर मंत्र :--
ॐ गुरु जी गोरख जती मछेन्द्र का चेला शिव के रूप में दिखे अलबेला कानों कुंडल गले में
नादी हाथ त्रिशूल नाथ है आदि अलख पुरुष को करूँ आदेश जन्म जन्म के काटो कलेश
भगवा वेश हाथ में खप्पर भैरव शिव का चेला जहाँ जहाँ जाऊं नगर डगर लगे वहां फिर मेला
शिव का धुना गोरख तापे काल कंटक थर थर कांपे मेरी रक्षा करे नव नाथ राम दूत
हनुमन्त रिद्धि सिद्धि आंगन विराजे माई अन्नपूर्णा सुखवंत शब्द सांचा पिंड कंचा चलो
मन्त्र ईश्वरो वाचा !
यह मन्त्र सरल साबर मन्त्र है गोरख जाती का दिव्य साबर मन्त्र है परम दुर्लभ था अभी तक
कभी प्रकट नहीं किया गया! था गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहा पर
पर आज से पहले गुप्त ही थाकभी पुस्तकों में प्रकाशित नहीं हुआ आज तक !! हर काम में पढना
शुभ है ! रोज 11 बार पढ़ें ! फिर देखें गुरु गोरख जती महाराज का चमत्कार !
बात आती है आपके श्रद्धा भाव की मैंने थोड़ी न कुछ करना है कृपा करना उस मालिक का
काम है मैं तो उसका बच्चा हूँ ! आप सभी जैसा ही हूँ मेहनत आपकी अपनी है मैं किसी को देने
वाल कौन होता हूँ यह सब उस मालिक की कृपा है आप बस करना इसको लेकिन गुरु ,इष्ट,
और पितृ यह सब जरूरी है क्युकी सारी चीज़े इनसे घूम फिरके आती है !इसलिए बोलता हूँ
गुरु पहले और मेरे मंत्र तंत्र रियल है भाई कोई बी मंत्र डायरेक्ट उठा कर कबि मत करना क्युकी
अगर किसी को कुछ हुआ तो मैं उसके लिए ज़िम्मेदार नहीं हूँ ! वो आपका रिस्क है मेरा काम
देना है बाकि आप गुरु मंत्र चेतन करके कर सकते हो कुछ बी अलख आदेश सनी शर्मा !!SHIVGORKSHDHAMSATNALI.BLOGSPOT.IN
यह मंत्र मेरा स्वयं अनुभूत है दावे के साथ कह सकता हूँ डेली ११ बार बोलो और विशव श्रद्धा भाव से करो आप सब बिगरे काम बनेगे अलख आदेश सनी शर्मा
!! दिव्य चमत्कारी गुप्त मन्त्र स्वयं अनुभूत गुरु गोरख नाथ जी का मंत्र !! :-- -
बहुत ज्यादा कमेंट आने पर दोवारा से लिख कर दे रहा हूँ मैं मंत्र बस जैसे लिखा वैसे ही करना है
आपको और मेरे वीडियो पर कम से कम १००० लाइक और ५०० कमेंट आया तो बाबा काल
भैरो जी की साधना दुगा जो गुप्त है किताब के मंत्र नहीं है यह सब अलख आदेश !!! कमेंट मैं
कृप्या आदेश लिखें !!! अगर आपको अभी बी समझ नहीं आता है मेरा लिखा तो मैं इस मैं कुछ
नहीं कर सकता हूँ मुझे माफ करना आप और हो सके तो पहले मेरे सारे वीडियो देखना आप ! सनी शर्मा
शाबर मंत्र :--
ॐ गुरु जी गोरख जती मछेन्द्र का चेला शिव के रूप में दिखे अलबेला कानों कुंडल गले में
नादी हाथ त्रिशूल नाथ है आदि अलख पुरुष को करूँ आदेश जन्म जन्म के काटो कलेश
भगवा वेश हाथ में खप्पर भैरव शिव का चेला जहाँ जहाँ जाऊं नगर डगर लगे वहां फिर मेला
शिव का धुना गोरख तापे काल कंटक थर थर कांपे मेरी रक्षा करे नव नाथ राम दूत
हनुमन्त रिद्धि सिद्धि आंगन विराजे माई अन्नपूर्णा सुखवंत शब्द सांचा पिंड कंचा चलो
मन्त्र ईश्वरो वाचा !
यह मन्त्र सरल साबर मन्त्र है गोरख जाती का दिव्य साबर मन्त्र है परम दुर्लभ था अभी तक
कभी प्रकट नहीं किया गया! था गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहा पर
पर आज से पहले गुप्त ही थाकभी पुस्तकों में प्रकाशित नहीं हुआ आज तक !! हर काम में पढना
शुभ है ! रोज 11 बार पढ़ें ! फिर देखें गुरु गोरख जती महाराज का चमत्कार !
बात आती है आपके श्रद्धा भाव की मैंने थोड़ी न कुछ करना है कृपा करना उस मालिक का
काम है मैं तो उसका बच्चा हूँ ! आप सभी जैसा ही हूँ मेहनत आपकी अपनी है मैं किसी को देने
वाल कौन होता हूँ यह सब उस मालिक की कृपा है आप बस करना इसको लेकिन गुरु ,इष्ट,
और पितृ यह सब जरूरी है क्युकी सारी चीज़े इनसे घूम फिरके आती है !इसलिए बोलता हूँ
गुरु पहले और मेरे मंत्र तंत्र रियल है भाई कोई बी मंत्र डायरेक्ट उठा कर कबि मत करना क्युकी
अगर किसी को कुछ हुआ तो मैं उसके लिए ज़िम्मेदार नहीं हूँ ! वो आपका रिस्क है मेरा काम
देना है बाकि आप गुरु मंत्र चेतन करके कर सकते हो कुछ बी अलख आदेश सनी शर्मा !!SHIVGORKSHDHAMSATNALI.BLOGSPOT.IN
Monday, 18 December 2017
ज्योतिष में सफलता प्राप्ति की साबर साधना
ज्योतिष में सफलता प्राप्ति की साबर साधना
ज्योतिष के झेत्र में साधक को आगे बढ़ने के लिये कर्ण पि.शाचनि,माँ पंचुगलि आदि साधना करबाते है कुछ लोगों को सफलता मिलती है कुछ अपनी जिंदगी इन्ही साधनाओ के चक्कर में बर्बाद कर लेते है
जीवन में ज्योतिष के झेत्र में अनेक उतार-चढ़ाव आयेगे और इसमें आगे बढ़ने के लीये अनेक साधना भी करनी पड़ती है इनमे से एक है माँ सरस्वती की साधना जिसके वीना ज्ञान की कल्पना करना भी बेकार है
ज्योतिष मे सफलता प्राप्ति के लिये शक्तिशाली मंत्र पाठको मैं आपको एक अनुभव किया हुआ मन्त्र बता रहा हूँ .
इसके जाप से वाणी सिद्ध होने लगती है कुछ ही दिन के बाद आपको ये भी मालूम होने लगता है की सामने वाले के मन मे क्या है पर जाप बस निरंतर होना चाहिये मन्त्र अति शक्तिशाली है
(1)51दिन रोज 11 माला जप करें
मन्त्र
""ओउम नमो भगवती श्रुत देवी हंस वाहिनी त्रिकाल निमित्त प्रकाशिनी
सर्व कार्य प्रकाशिनी सत भावे सत भाषे
असत का प्रहार करे ओउम नमो श्रुत देवी स्वाहा !"''"
इस मन्त्र के निरंतर जाप से आप पर मां सरस्वती की पूर्ण कृपा होगी और वाणी से निकला हर शब्द सत्यं सीध होगा !
आजमा कर देख लो
पर साथ ही हर पूर्णिमा को खीर का भोग देवी को लगाना मत भूलना।
ज्योतिष के झेत्र में साधक को आगे बढ़ने के लिये कर्ण पि.शाचनि,माँ पंचुगलि आदि साधना करबाते है कुछ लोगों को सफलता मिलती है कुछ अपनी जिंदगी इन्ही साधनाओ के चक्कर में बर्बाद कर लेते है
जीवन में ज्योतिष के झेत्र में अनेक उतार-चढ़ाव आयेगे और इसमें आगे बढ़ने के लीये अनेक साधना भी करनी पड़ती है इनमे से एक है माँ सरस्वती की साधना जिसके वीना ज्ञान की कल्पना करना भी बेकार है
ज्योतिष मे सफलता प्राप्ति के लिये शक्तिशाली मंत्र पाठको मैं आपको एक अनुभव किया हुआ मन्त्र बता रहा हूँ .
इसके जाप से वाणी सिद्ध होने लगती है कुछ ही दिन के बाद आपको ये भी मालूम होने लगता है की सामने वाले के मन मे क्या है पर जाप बस निरंतर होना चाहिये मन्त्र अति शक्तिशाली है
(1)51दिन रोज 11 माला जप करें
मन्त्र
""ओउम नमो भगवती श्रुत देवी हंस वाहिनी त्रिकाल निमित्त प्रकाशिनी
सर्व कार्य प्रकाशिनी सत भावे सत भाषे
असत का प्रहार करे ओउम नमो श्रुत देवी स्वाहा !"''"
इस मन्त्र के निरंतर जाप से आप पर मां सरस्वती की पूर्ण कृपा होगी और वाणी से निकला हर शब्द सत्यं सीध होगा !
आजमा कर देख लो
पर साथ ही हर पूर्णिमा को खीर का भोग देवी को लगाना मत भूलना।
Friday, 15 December 2017
उच्च स्तरीय साधना के भव पक्ष के तीन चरण है। (1) भजन, (2) मनन, (3) चिंतन
उच्च स्तरीय साधना के भव पक्ष के तीन चरण है। (1) भजन, (2) मनन, (3) चिंतन। इन तीनों को मिला देने से ही एक समय साधन प्रक्रिया का निर्माण होता है। अन्न, जल और वायु के तीनों अग मिलकर पूर्ण आहार बनता है। इनमें से एक भी कम पड़ जाय तो जीवन यात्रा न चल सकेगी। इसी प्रकार आत्मिक जीवन के लिए भजन, मनन और चिंतन का सूक्ष्म आहार प्रस्तुत करना पड़ता है। अंतःकरण की स्वस्थता, प्रखरता, परिपुष्टता एवं प्रगति इन तीन आधारों पर ही निर्भर है। गायत्री महामंत्र के तीन चरणों की सूक्ष्म प्रेरणा भी इसी त्रिवेणी को कहा जा सकता है।
सर्वोच्च साधन स्तर अद्वैत स्थिति का है। इसमें प्रवेश किये बिना न तो मनोलय होता है और न ईश्वर प्राप्ति। जब तक ईश्वर से भिन्न अपनी अलग सत्ता बनी रहेगी जब तक अपना विलय परमेश्वर में न होगा तब तक अपूर्णता का प्रथमता का अंत न होगा। लययोग ही समाधि की-मुक्ति की-परम स्थिति तक पहुँचा सकता है।
उच्च स्तरीय ‘भजन’ के लिए शरीर को शिथिल और मन को उदासीन करना पड़ता है। ताकि न शरीर की माँस पेशियों पर कोई तनाव रहे और न मस्तिष्क में कोई आकर्षण उत्तेजना पैदा करे। यह स्थिति कुछ ही दिन के अभ्यास से उपलब्ध हो जाती है। किस आराम कुर्सी, कोमल बिस्तर या दीवार, पेड़ आदि का सहारा लेकर शरीर को निद्रित एवं मृतक स्थिति जैसा शिथिल कर देना चाहिए। इसे शवासन एवं जैसा शिथिलीकरण मुद्रा कहते हैं। शारीरिक दृष्टि से यह पूर्ण विश्राम है। मानसिक दृष्टि से इसे ध्यान भूमिका कहा जाता है। उत्तेजित तनी हुई नाड़ियाँ एवं माँस पेशियाँ होने पर कभी किसी का ध्यान लग ही नहीं सकता। इसलिए पद्मासन, बद्धपद्मासन जैसे तनाव उत्पन्न करने वाले आसन और किसी प्रयोजन के लिए उपयोगी भले ही हों-ध्यान के लिए बाधक होते हैं।
यही बात मन के संबंध में भी है समस्त संसार में शून्यता संव्याप्त है। प्रलय काल की तरह नीचे अथाह नील जल राशि और ऊपर नीले आकाश है। सर्वत्र परम शांति दायिनी नीलिमा एवं नीरवता संव्याप्त है। कहीं कोई व्यक्ति या पदार्थ नहीं। मन को आकर्षित करने वाली कहीं कोई स्थिति परिस्थिति शेष नहीं। उस परम शून्यता में बालक की तरह अपनी निर्मल चेतना कमल पत्र पर लेटी हुई तैर रही है। अपने पैर का अँगूठा अपने मुँह में लगा हुआ है और आत्मा स्वरस का पान कर रही है। प्रलय काल का ऐसा चित्र बाज़ार में बिकता भी है। मनःस्थिति को उसी स्तर का बनाने का प्रयत्न किया जाय ता शून्यता की मानसिक स्थिति बनती और बढ़ती चली जाती है। शारीरिक शिथिलता और मानसिक रिक्तता की - उपरोक्त स्थिति भजन साधना की उपयुक्त पूर्व भूमिका समझी जानी चाहिए।
शिथिल शरीर एवं मनःस्थिति में ही भजन ठीक प्रकार हो सकता भाव परक ध्यानयोग का यही पूर्वार्ध। आपरेशन करते-इंजेक्शन लगाते समय हिलने-जुलने पर प्रतिबंध रहता है। एक का रक्त दूसरे के शरीर में प्रवेश करते समय दोनों व्यक्ति अपने हाथों को हिलाते डुलाते नहीं है। भजन को समय भी मानसिक संस्थान को इसी प्रकार शांत रहना चाहिए।
Wednesday, 6 December 2017
ॐ शिवगोरक्ष योगी आदेश
ॐ शिवगोरक्ष योगी आदेश
||प्रार्थना||
||ॐ शिव गोरक्ष योगी||
||ॐ शिव गोरक्ष योगी||
गंगे हर नर्मदेहर जटाशंकरी हर ॐ नमो पार्वती पतये हर,
बोलिये श्री शम्भू जती गुरु गोरक्षनाथ महाराज की जय,
माया स्वरूपी दादा मत्सेंद्रनाथ महाराज की जय, नवनाथ चौरासी सिद्धों की जय,
भेष भगवान की जय, अटल क्षेत्र की जय, रमतेश्वर महाराज की जय,
कदली काल भैरवनाथ महाराज की जय, पात्र देवता की जय, ज्वाला महामाई की जय,
सनातन धर्म की जय, अपने-अपने गुरु महाराज की जय, गौ-ब्राम्हण की जय,
बोल साचे दरबार की जय, हर हर महादेव की जय,
बोलिये श्री शम्भू जती गुरु गोरक्षनाथ महाराज की जय,
माया स्वरूपी दादा मत्सेंद्रनाथ महाराज की जय, नवनाथ चौरासी सिद्धों की जय,
भेष भगवान की जय, अटल क्षेत्र की जय, रमतेश्वर महाराज की जय,
कदली काल भैरवनाथ महाराज की जय, पात्र देवता की जय, ज्वाला महामाई की जय,
सनातन धर्म की जय, अपने-अपने गुरु महाराज की जय, गौ-ब्राम्हण की जय,
बोल साचे दरबार की जय, हर हर महादेव की जय,
कर्पूरगौरं करुणावतारम
संसारसारं भुजगेन्द्र हारम
सदा वसन्तं हृदयार विन्दे
भवंभवानी सहितं नमामी
संसारसारं भुजगेन्द्र हारम
सदा वसन्तं हृदयार विन्दे
भवंभवानी सहितं नमामी
मन्दारमाला कलिनाल कायै
कपालमालान्कित कन्थराय
नमः शिवायै च नमः शिवाय
कपालमालान्कित कन्थराय
नमः शिवायै च नमः शिवाय
गोरक्ष बालम गुरु शिष्य पालम
शेषा हिमालम शशिखण्ड भालं
कालस्य कालम जिनजन्म जालम
वन्दे जटालम जगदब्जनालम
शेषा हिमालम शशिखण्ड भालं
कालस्य कालम जिनजन्म जालम
वन्दे जटालम जगदब्जनालम
गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात् परब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवै नमः
गुरु साक्षात् परब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवै नमः
ध्यानमूलं गुरोमुर्ती, पूजा मूलं गुरु पदम्
मन्त्रमूलं गुरुवाक्य मोक्ष मूलं गुरु कृपा
मंत्र सत्यम पूजा सत्यम सत्यदेवं निरंजनम
गुरुवाक्य सदा सत्यम सत्यम एकम परमपदम्
मन्त्रमूलं गुरुवाक्य मोक्ष मूलं गुरु कृपा
मंत्र सत्यम पूजा सत्यम सत्यदेवं निरंजनम
गुरुवाक्य सदा सत्यम सत्यम एकम परमपदम्
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविडम त्वमेव
त्वमेव सर्वम मम देव देवः
त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविडम त्वमेव
त्वमेव सर्वम मम देव देवः
आकाशाय ताड़का लिंगम
पाताले वटुकेश्वरम
मर्त्ये लोके महाकालम
सर्व लिंगम नमस्तुते
पाताले वटुकेश्वरम
मर्त्ये लोके महाकालम
सर्व लिंगम नमस्तुते
शैली श्रृंगी शिर जटा झोली भगवा भेष
कानन कुण्डल भस्म लसै शिव गोरक्ष आदेश
कानन कुण्डल भस्म लसै शिव गोरक्ष आदेश
१ ॐकर तेरा आधार
तीन लोक में जय-जयकार
नाद बाजे काल भागे
ज्ञान की टोपी गोरख साजे
गले नाद पुष्पन की माला
रक्षा करे श्री शंम्भुजती गुरु गोरक्षनाथजी बाला||
चार खाणी चार बानी
चन्द्र सूर्य पवन पानी
एको देवा सर्वत्र सेवा
ज्योति पाटले परसों देवा
कानन कुण्डल गले नाद
करो सिद्धो नाद्कार
सिद्ध गुरुवरों को आदेश! आदेश!!
तीन लोक में जय-जयकार
नाद बाजे काल भागे
ज्ञान की टोपी गोरख साजे
गले नाद पुष्पन की माला
रक्षा करे श्री शंम्भुजती गुरु गोरक्षनाथजी बाला||
चार खाणी चार बानी
चन्द्र सूर्य पवन पानी
एको देवा सर्वत्र सेवा
ज्योति पाटले परसों देवा
कानन कुण्डल गले नाद
करो सिद्धो नाद्कार
सिद्ध गुरुवरों को आदेश! आदेश!!
श्री नाथजी गुरूजी को आदेश! आदेश!!
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी| ॐ शिव गोरक्ष योगी|
आदेश! आदेश!! आदेश!!!
शिवगोरक्ष कल्याण करे ।
गुरु महाराज की कृपा सदैव रहे ।
गुरु महाराज की कृपा सदैव रहे ।
आदेश
Friday, 1 December 2017
यदि साधक अपनी राशि के अनुसार सम्बद्ध मंत्र का जप करे इससे देवी शीघ्र मनोकामना पूर्ण करती हैं।
यदि साधक अपनी राशि के अनुसार सम्बद्ध मंत्र का जप करे
इससे देवी शीघ्र मनोकामना पूर्ण करती हैं।
किस राशि के जातक को मां के कौन से रूप की उपासना करनी चाहिए।
इस नीचे दिया जा रहा है।
इससे देवी शीघ्र मनोकामना पूर्ण करती हैं।
किस राशि के जातक को मां के कौन से रूप की उपासना करनी चाहिए।
इस नीचे दिया जा रहा है।
राशि
मेष राशि के जातकों को नवरात्र में
मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।
मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।
वृष राशि के जातकों को
मां काली की उपासना करनी चाहिए।
मां काली की उपासना करनी चाहिए।
मिथुन राशि वालों को
देवी तारा की उपासना करनी चाहिए।
देवी तारा की उपासना करनी चाहिए।
कर्क राशि वाले जातकों को
मां कमला की आराधना करनी चाहिए
मां कमला की आराधना करनी चाहिए
सिंह राशि वाले जातकों को
मां बाला त्रिपुरा की उपासना करनी चाहिए।
मां बाला त्रिपुरा की उपासना करनी चाहिए।
कन्या राशि के जातकों को नवरात्र में
मां मातंगी की आराधना करनी चाहिए।
मां मातंगी की आराधना करनी चाहिए।
तुला राशि के जातकों को नवरात्र में
माता महाकाली की आराधना करनी चाहिए।
माता महाकाली की आराधना करनी चाहिए।
इस राशि के जातकों को नवरात्र में
मां दुर्गा की उपासना करनी चाहिए।
मां दुर्गा की उपासना करनी चाहिए।
धनु राशि के जातकों को
मां बगलामुखी की आराधना करनी चाहिए।
मां बगलामुखी की आराधना करनी चाहिए।
कुम्भ राशि के जातकों को
मां भुवनेश्वरी की आराधना करनी चाहिए।
मां भुवनेश्वरी की आराधना करनी चाहिए।
मीन राशि के जातकों को
मां बगलामुखी की आराधना करनी चाहिए।
’ मंत्र का अधिकाधिक जप करना चाहिए।
मां बगलामुखी की आराधना करनी चाहिए।
’ मंत्र का अधिकाधिक जप करना चाहिए।
मंत्र जप की सरलतम विधि
मंत्र जप की सरलतम विधि
सृष्टि से पहले जब कुछ भी नहीं था तब शून्य में वहां एक ध्वनि मात्र होती थी। वह ध्वनि अथवा नाद था ‘ओऽम’। किसी शब्द, नाम आदि का निरंतर गुंजन अर्थात मंत्र। उस मंत्र में शब्द था, एक स्वर था। वह शब्द एक स्वर पर आधारित था। किसी शब्द आदि का उच्चारण एक निश्चित लय में करने पर विशिष्ट ध्वनि कंपन ‘ईथर’ के द्वारा वातावरण में उत्पन्न होते हैं। यह कंपन धीरे धीरे शरीर की विभिन्न कोशिकाओं पर प्रभाव डालते हैं। विशिष्ट रुप से उच्चारण किए जाने वाले स्वर की योजनाबद्ध श्रंखला ही मंत्र होकर मुह से उच्चारित होने वाली ध्वनि कोई न कोई प्रभाव अवश्य उत्पन्न करती है। इसी आधार को मानकर ध्वनि का वर्गीकरण दो रुपों में किया गया है, जिन्हें हिन्दी वर्णमाला में स्वर और व्यंजन नाम से जाना जाता है।
मंत्र ध्वनि और नाद पर आधारित है। नाद शब्दों और स्वरों से उत्पन्न होता है। यदि कोई गायक मंत्र ज्ञाता भी है तो वह ऐसा स्वर उत्पन्न कर सकता है, जो प्रभावशाली हो। इसको इस प्रकार से देखा जा सकता है :
यदि स्वर की आवृत्ति किसी कांच, बर्फ अथवा पत्थर आदि की स्वभाविक आवृत्ति से मिला दी जाए तो अनुनाद के कारण वस्तु का कंपन आयाम बहुत अधिक हो जाएगा और वह बस्तु खडिण्त हो जाएगी। यही कारण है कि फौजियों-सैनिकों की एक लय ताल में उठने वाली कदमों की चाप उस समय बदलवा दी जाती है जब समूह रुप में वह किसी पुल पर से जा रहे होते हैं क्योंकि पुल पर एक ताल और लय में कदमों की आवृत्ति पुल की स्वभाविक आवृत्ति के बराबर होने से उसमें अनुनाद के कारण बहुत अधिक आयाम के कंपन उत्पन्न होने लगते हैं, परिणाम स्वरुप पुल क्षतिग्रस्त हो सकता है। यह शब्द और नाद का ही तो प्रभाव है। अब कल्पना करिए मंत्र जाप की शक्ति का, वह तो किसी शक्तिशाली बम से भी अधिक प्रभावशाली हो सकता है।
किसी शब्द की अनुप्रस्थ तरंगों के साथ जब लय बध्यता हो जाती है तब वह प्रभावशाली होने लगता है। यही मंत्र का सिद्धान्त है और यही मंत्र का रहस्य है। इसलिए कोई भी मंत्र जाप निरंतर एक लय, नाद आवृत्ति विशेष में किए जाने पर ही कार्य करता है। मंत्र जाप में विशेष रुप से इसीलिए शुद्ध उच्चारण, लय तथा आवृत्ति का अनुसरण करना अनिवार्य है, तब ही मंत्र प्रभावी सिद्ध हो सकेगा।
नाम, मंत्र, श्लोक, स्तोत्र, चालीसा, अष्टक, दशक शब्दों की पुनर्रावृत्ति से एक चक्र बनता है। जैसे पृथ्वी के अपनी धुरी पर निरंतर घूमते रहने से आकर्षण शक्ति पैदा होती है। ठीक इसी प्रकार जप की परिभ्रमण क्रिया से शक्ति का अभिवर्द्धन होता है। पदार्थ तंत्र में पदार्थ को जप से शक्ति एवं विधुत में परिवर्तित किया जाता है। जगत का मूल तत्व विधुत ही है। प्रकंपन द्वारा ही सूक्ष्म तथा स्थूल पदार्थ का अनुभव होता है। वृक्ष, वनस्पती, विग्रह, यंत्र, मूर्ति, रंग, रुप आदि सब विद्युत के ही तो कार्य हैं। जो स्वतःचालित प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा संचालित हो रहे हैं। परंतु सुनने में यह अनोखा सा लगता है कि किसी मंत्र, दोहा, चोपाई आदि का सतत जप कार्य की सिद्धि भी करवा सकता है। अज्ञानी तथा नास्तिक आदि के लिए तो यह रहस्य-भाव ठीक भी है, परंतु बौद्धिक और सनातनी वर्ग के लिए नहीं।
मंत्र ध्वनि और नाद पर आधारित है। नाद शब्दों और स्वरों से उत्पन्न होता है। यदि कोई गायक मंत्र ज्ञाता भी है तो वह ऐसा स्वर उत्पन्न कर सकता है, जो प्रभावशाली हो। इसको इस प्रकार से देखा जा सकता है :
यदि स्वर की आवृत्ति किसी कांच, बर्फ अथवा पत्थर आदि की स्वभाविक आवृत्ति से मिला दी जाए तो अनुनाद के कारण वस्तु का कंपन आयाम बहुत अधिक हो जाएगा और वह बस्तु खडिण्त हो जाएगी। यही कारण है कि फौजियों-सैनिकों की एक लय ताल में उठने वाली कदमों की चाप उस समय बदलवा दी जाती है जब समूह रुप में वह किसी पुल पर से जा रहे होते हैं क्योंकि पुल पर एक ताल और लय में कदमों की आवृत्ति पुल की स्वभाविक आवृत्ति के बराबर होने से उसमें अनुनाद के कारण बहुत अधिक आयाम के कंपन उत्पन्न होने लगते हैं, परिणाम स्वरुप पुल क्षतिग्रस्त हो सकता है। यह शब्द और नाद का ही तो प्रभाव है। अब कल्पना करिए मंत्र जाप की शक्ति का, वह तो किसी शक्तिशाली बम से भी अधिक प्रभावशाली हो सकता है।
किसी शब्द की अनुप्रस्थ तरंगों के साथ जब लय बध्यता हो जाती है तब वह प्रभावशाली होने लगता है। यही मंत्र का सिद्धान्त है और यही मंत्र का रहस्य है। इसलिए कोई भी मंत्र जाप निरंतर एक लय, नाद आवृत्ति विशेष में किए जाने पर ही कार्य करता है। मंत्र जाप में विशेष रुप से इसीलिए शुद्ध उच्चारण, लय तथा आवृत्ति का अनुसरण करना अनिवार्य है, तब ही मंत्र प्रभावी सिद्ध हो सकेगा।
नाम, मंत्र, श्लोक, स्तोत्र, चालीसा, अष्टक, दशक शब्दों की पुनर्रावृत्ति से एक चक्र बनता है। जैसे पृथ्वी के अपनी धुरी पर निरंतर घूमते रहने से आकर्षण शक्ति पैदा होती है। ठीक इसी प्रकार जप की परिभ्रमण क्रिया से शक्ति का अभिवर्द्धन होता है। पदार्थ तंत्र में पदार्थ को जप से शक्ति एवं विधुत में परिवर्तित किया जाता है। जगत का मूल तत्व विधुत ही है। प्रकंपन द्वारा ही सूक्ष्म तथा स्थूल पदार्थ का अनुभव होता है। वृक्ष, वनस्पती, विग्रह, यंत्र, मूर्ति, रंग, रुप आदि सब विद्युत के ही तो कार्य हैं। जो स्वतःचालित प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा संचालित हो रहे हैं। परंतु सुनने में यह अनोखा सा लगता है कि किसी मंत्र, दोहा, चोपाई आदि का सतत जप कार्य की सिद्धि भी करवा सकता है। अज्ञानी तथा नास्तिक आदि के लिए तो यह रहस्य-भाव ठीक भी है, परंतु बौद्धिक और सनातनी वर्ग के लिए नहीं।
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